ब्रज का नारद कुंड जहाँ नित्य श्री देवर्षि नारद जी कलयुग में भी आते हैं, और यहाँ पूजन करने से भगवान शनि की ढैया, साढ़े साती ख़त्म हो जाती है
यहां शनिदेव जी साक्षात विराजमान है नारद जी के सानिध्य में जो सावन के चार शनिवार इनकी पूजा-अर्चना करता है उन पर आजीवन शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या नहीं लगती।
"नारद कुंड"
भगवान श्री कृष्ण की लीला स्थलीऔ में एक यह स्थान भी आता है जहां नारद जी आज भी यहां आते हैं और स्नान करते हैं
साथ ही कहा जाता है कि यहां शनिदेव जी साक्षात विराजमान है नाराज जी के सानिध्य में जो सावन के चार शनिवार इनकी पूजा-अर्चना करता है उन पर आजीवन शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या नहीं लगती।
अर्थात वह शनिदेव के प्रकोप से बस जाता है
भगवान श्री कृष्ण के परम भक्त शनि देव जो सभी भक्तों पर कृपा करते हैं और यहां पर जो कल्प वृक्ष है उसके दर्शन बेहद आनंद पूर्वक होते हैं जिसको कहा जाता है कि उसको अनेकों वर्ष बीत गए वह जब से वैसा का वैसा ही है यह वृक्ष कभी खत्म नहीं हुआ आज तक।
यहां पर दर्शन करने अनेकों भक्त आते हैं पूरे साल यहां पर यात्राएं आती है